प्राचीन काल से ही ज्योतिष से रोग जानने की विद्या हमारे देश में प्रचलित है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति पूरे जीवन में होने वाले रोगों की जानकारी देती हैं।
ज्योतिष में रोग विचार ग्रहों और बीमारी
अगर आपको निचे दिए गए किसी भी रोग से परेशान है तो आप बिना जन्मपत्री से ही अपने कमजोर ग्रह को ठीक करके अपनी बीमारी से छुटकारा पा सकते है
#शनि : घुटनों या पैरों की दर्द, शारीरिक कमजोरी, दर्द व पेट दर्द, दांत, त्वचा, अस्थिभ्रंश, मांसपेशियां, लकवा, खांसी, बहरापन, दमा, अपच,खाँसी और नेत्र से सम्बन्धित रोग।
#सूर्य : पित्त, नेत्र रोग, वर्ण, जलन, ह्रदय रोग, , स्थियों रोग, कुष्ठ रोग, ज्वर, रक्तस्त्राव, मिर्गी ,धड़कन का अनियंत्रित होना, रक्त चाप, सिर से सम्बंधित रोग।
#बृहस्पति : लीवर, किडनी , मधुमेह, पीलिया, याददाश्त में कमी, जीभ, पिण्डलियां, मज्जा दोष, यकृत पीलिया, दंत रोग, मस्तिष्क विकार ,पेट की गैस, फेफड़े, कर्ण से सम्बन्धित रोग।
#मंगल : गर्मी, जिगर, कुष्ठ, खुजली, विषजनित रोग, गर्दन, कण्ठ, रक्तचाप, मूत्र, ट्यूमर, कैंसर, अल्सर, दस्त, दुर्घटना में रक्तस्त्राव, कटना, फोड़े-फुन्सी, ज्वर, अग्निदाह, चोट , पेट, नासूर, पित्त आमाशय, फोड़े, रक्त से सम्बन्धित रोग।
#चंद्र : ह्रदय, फेफड़े , बायां नेत्र , अनिद्रा, अस्थमा, डायरिया, रक्ताल्पता, रक्तविकार, उल्टी ,किडनी , मधुमेह, ड्रॉप्सी, अपेन्डिक्स, कफ, मूत्रविकार, मुख, नासिका, पीलिया, मानसिक , दिल और आँखों से सम्बन्धित रोग।
#बुध : छाती, नसें, नाक, मुख के रोग, चेचक, अस्थिभंग, ज्वर, विषमय, खुजली, कण्ठ रोग, टायफाइड, पागलपन, लकवा, मिर्गी, अल्सर, चर्मरोग, निमोनिया, विषम ज्वर, पीलिया, चक्कर आना, वाणी दोष, स्नायु रोग, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँतों से सम्बन्धित रोग।
#शुक्र : नपुंसकता, दृष्टि, मूत्र, गुप्त रोग, गले के रोग, मिर्गी, पीलिया रोग, दाद, खुजली,त्वचा से सम्बन्धित रोग।
#राहु : मस्तिष्क सम्बन्धी विकार, पागलपन, अचानक चोट, दुर्घटना, निर्बलता, चेचक, पेट में कीड़े, ऊंचाई से गिरना, कुष्ठ रोग, तेज दर्द, विषजनित परेशानियां, पशुओं या जानवरों से शारीरिक कष्ट, कैंसर, बुखार, दिमागी से सम्बन्धित रोग।
#केतु : एलर्जी, वातजनित बीमारियां, रक्तदोष, चर्म रोग, जोड़ों का दर्द, सुस्ती, , स्वप्न दोष, शरीर में चोट, घाव ,परेशानी, कुत्ते का काटना, रीढ़, शुगर, कान, हार्निया, गुप्तांग संबंधी, रक्तदोष से सम्बन्धित रोग**